आपको ऐसा सोचने और कहने की नौबत आती क्यों है ?
क्या आपने कभी सोचा है इस बारे में ?
मन की मुराद कैसे पाई जाती है ?
आपको जानना चाहिए कि कोई भी चीज़ इस दुनिया में उसी को मिलती है जो कि उसका पात्र होता है, उसे पाने की कोशिश करता है और उसे पाने के लिए जो चीज़ ज़रूरी होती है उसका इंतज़ाम करता है और उसे पाने के रास्ते में जो बाधा होती है, उस बाधा को दूर करता है। इसके लिए उसे अपने विचार, अपनी आदतें और अपनी पसंद-नापसंद तक बदलनी पड़ती है। एक बड़ी पसंद की मुराद को पाने के लिए कई बार आदमी को अपनी पसंद की दूसरी चीज़ तक छोड़नी पड़ती है। इसे हम साधना का नाम देते हैं। प्रार्थना के साथ साधना भी ज़रूरी है और साधना के लिए ज्ञान भी ज़रूरी है। बिना ज्ञान के साधना संभव नहीं है और बिना साधना के आपकी प्रार्थना पूरी हो नहीं सकती।
साधना का नाम आते ही लोगों के मन में प्रायः तंत्र-मंत्र और हवन-जाप का दृश्य घूमने लगता है लेकिन साधना का अर्थ इससे कहीं ज़्यादा व्यापक है। आधुनिक ज्ञान-विज्ञान ने भी आज इंसान के सामने ऐसे तथ्य प्रकट किए हैं कि आदमी उन्हें झुठला ही नहीं सकता। आधुनिका खोज के बाद जिन सच्चाईयों का पता हमारे वैज्ञानिकों ने लगाया है, उन पर भी ध्यान दिया जाए तो आपके मन की मुराद पूरी होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
मस्लन वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि ‘बेटी चाहिए तो शाकाहारी बनें।‘
इसी शीर्षक से दैनिक हिन्दुस्तान के पृष्ठ 16 (दिनांक 4 जनवरी 2011) पर आप पढ़ सकते हैं कि-
‘बेटी चाहिए तो शाकाहारी बनें।‘आपका कर्म सहायक भी, बाधक भी
लंदन। मां बनने की तैयारी कर रही महिलाएं ज़रा ग़ौर फ़रमाएं। अगर आप पहली संतान के रूप में एक ख़ूबसूरत बेटी चाहती हैं, मांस-मच्छी से तौबा कर शाकाहार अपनाएं। एक नए अध्ययन के मुताबिक़ गर्भधारण से कुछ माह पहले कैल्शियम और मैगनीशियम युक्त फल-सब्ज़ियों का सेवन करने वाली 80 फ़ीसदी महिलाएं लड़कियों को जन्म देती हैं। इससे इतर प्रेगनेंसी के दौरान पोटैशियम और सोडियम भरपूर खाद्य सामग्रियां खाने पर लड़का पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि मां की तरह गर्भस्थ शिशु के लिंग पर पिता के खान-पान का कोई असर नहीं पड़ता है।
मैसट्रिच यूनिवर्सिटी के स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ लगातार पांच सालों तक 172 से अधिक गर्भवती महिलाओं के खान-पान का विश्लेषण कर इस नतीजे पर पहुंचे हैं। उन्होंने पाया कि हरी सब्ज़ियां, गाजर, सेब, पपीता, चावल, दूध-दही का नियमित सेवन करने वाली ज़्यादातर महिलाओं के घर में बेटी की किलकारियां गूंजती हैं।
इन खाद्य सामग्रियों से उनके रक्त में कैल्शियम और मैगनीशियम के स्तर में इज़ाफ़ा होता है। वहीं, गर्भावस्था में अपनी डाइट में केला और आलू शामिल करने वाली महिलाओं के शरीर में सोडियम और पोटैशियम की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे उनके बेटे को जन्म देने की गुंजाइश अधिक रहती है। प्रमुख शोधकर्ता एनेट नूरलैंडर ने खानपान पर ध्यान देने के अलावा बेटी की ख्वाहिशमंद महिलाओं को ओव्यूलेशन से तीन-चार दिन पर यौन संबंध बनाने की सलाह दी है। इसकी प्रमुख वजह मादा क्रोमोसोम से लैस शुक्राणुओं का निषेचन प्रक्रिया में ज़्यादा समय लेना है।
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आपकी प्रार्थना को बल आपके कर्म से मिलता है, यह वैज्ञानिक रूप से भी अब सिद्ध हो चुका है। मन की भावना का ताल्लुक़ आपके भोजन से भी है। जो आप चाहती हैं, उसे पाने में भी आपका भोजन या तो सहायक है या फिर बाधक।
आप क्या चाहती हैं लड़का या लड़की ?
इसका संबंध दूसरी चीज़ों के अलावा इस बात से भी है कि आप क्या करती हैं शाकाहार या मांसाहार ?
जो औरतें बेटी चाहती हैं उनके लिए तो शाकाहार ठीक है लेकिन अगर आप भगवान से बेटा पाने की प्रार्थना कर रही हैं तो फिर आपको उन तत्वों को भी अपने शरीर में पहुंचाना होगा जिन्हें कि भगवान बेटा बनाने में इस्तेमाल करता है।
प्रार्थना तो भगवान से की जाए बेटा पाने की और भोजन खाया जाए बेटी पाने वाला, तब भगवान आपको बेटा देगा या बेटी ?
यह तरीक़ा अज्ञानियों का है और फिर अपनी ग़लती का दोष भी भगवान को दे दिया जाए कि भगवान हमारी नहीं सुनता। यह भी अज्ञानियों का ही तौर-तरीक़ा है।
भगवान भी तो आपसे कुछ कह रहा है कि नहीं ?
आपने कभी सुनी उसकी ?
अज्ञानियों का मार्ग और उनकी पहचान
आप सुन रहे हैं सन्यासियों की, जिन्हें न तो बेटी चाहिए और न ही बेटा।
बल्कि जो पहले से ही उनके घर में बेटे-बेटियां थीं, उन्हें भी वे छोड़कर निकल गए और उन मां-बाप को भी उन्होंने छोड़ दिया जिनके कि वे खुद बेटे थे। बच्चों को भी भगवान का रूप कहा जाता है और मां-बाप को भी। ईश्वर तक पहुंचाने वाली सीढ़ियां भी यही हैं। जहां भगवान की प्राप्ति होनी थी जब उन्हीं को त्याग दिया, अपनी सीढ़ी ही तोड़ दी तो अब उसे भगवान कहां मिलेगा ?
जब उसे भगवान कहीं नहीं मिलेगा तो या तो वह कह देगा कि भगवान है ही नहीं या फिर खुद को ही भगवान घोषित कर देगा। यह सरासर अज्ञानता है।
यही अज्ञानी लोग आज गुरू बनकर लोगों को भटका रहे हैं। ‘जीने की कला‘ सिखा रहे हैं।
यही अज्ञानी लोग गर्भवती औरतों को ‘पुत्रवती होने का आशीर्वाद‘ दे रहे हैं और साथ ही शाकाहार अपनाने की सलाह भी दे रहे हैं।
बहरहाल वैज्ञानिक शोध आपके सामने है। आप क्या पाना चाहती हैं और आप क्या खाना चाहती हैं ?
यह आपको ही तय करना है लेकिन प्लीज़ अगर आप अपनी ग़लतियों को नहीं सुधारना चाहती हैं तो न सुधारें लेकिन अपनी ग़लतियों के बदले में नाकामी ही आपको मिलेगी, इसके लिए भी खुद को तैयार रखिए और उसका दोष भगवान को मत दीजिए क्योंकि भगवान पवित्र है और सदा सुनने वाला है।
दरअस्ल हम और आप ही उसकी कल्याणकारी बातों को नहीं सुनते। उसके बनाए नियमों को नहीं मानते।
नया साल आया, नई सोच लाया है
नए साल के अवसर पर भगवान आपको अपनी सोच बदलने की शक्ति दे, सच्ची भक्ति दे, अच्छा फल दे, काम आने वाला ज्ञान दे, अज्ञानियों से मुक्ति दे और हर वह चीज़ आपको दे जो कि आप उससे चाहती हैं और मेरे लिए भी ऐसा ही हो। हरेक भाई-बहन के लिए ऐसा ही हो, इससे भी बेहतर हो।
आमीन !
तथास्तु !!
अटल सत्य
यह लेख भी उपयोगी है गर्भवती औरतों के लिए
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