Wednesday, April 27, 2011

अपनी बात रखने का एक तरीका यह भी है Usefull Knowledge

आज हमें एक कमेन्ट मिला 'अंत में भला किन लोगों का होता है ?'
 पर . इसमें काफी मालूमात भरी हैं . आप इसे देखिये . मैं इसे रिकॉर्ड के लिए यहाँ महफूज़ कर रहा हूँ .

अपनी बात रखने का एक तरीका यह भी तो है आप अपनी अच्‍छी बातें हमें पढवाओ, ऐसे


कुछ अकली तर्क- मुहम्‍मद सल्‍ल. के ईशदूत और संदेशवाहक होने की सत्यता पर 


पैगंबर की गैरमुस्लिमों पर दयालुता के कुछ उदाहरण 


हज़रत मुहम्मदके विषय में संक्षिप्त वर्णन Yusuf Estes


मुहम्मद सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लम :जन्म और पालन-पोषण 


मुहम्मद-उन पर शांति एवं आशीर्वाद हो-की कुछ शिक्षाएं 


मुहम्मद-शांति हो उन के व्यवहार के विषय में कुछ शब्द: 


पैगंबर मुहम्मद ने क्या आदेश दिया ? Yusuf Estes


सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे में गवाहियाँ comments


अल्‍लाह के पैग़म्बर के कुछ शिष्टाचार (आदाबे जि़न्‍दगी) 


मुहम्मद सल्ल. की -ईश्दूतत्व की पुष्टि करने वाले मूलग्रंथों से कुछ प्रमाण 


हज़रत पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की बीवियाँ 


मुहम्‍मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जीवन के परिणाम
 

Thursday, April 14, 2011

ईमान वाले बंदों की ज़िम्मेदारी है बुराई का ख़ात्मा करना

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया-
'तुम में से जो आदमी किसी बुराई को देखे, उसे अपने हाथ (ताकत) से बदल दे, अगर यह भी मुमकिन न हो सके तो ज़ुबान से उसे बदलने की कोशिश करे, अगर यह भी मुमकिन न हो तो दिल ही से सही और यह ईमान का सबसे कमज़ोर दर्जा है।' -मुस्लिम

Wednesday, April 13, 2011

'सारी दुनिया कुछ दिन का सामान है और इस दुनिया में सबसे अच्छी चीज़ नेक बीवी है।'

दुनिया की इस हक़ीक़त को समझाया है प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने। सारी सभ्यता की बुनियाद औरत और मर्द के आपसी रिश्ते पर ही है । सभ्यता के संतुलन के लिए लाज़िमी है कि औरत और मर्द के क़ुदरती रिश्ते में कोई बिगाड़ न आने पाए। यह रिश्ता बना रहे और मानव सृष्टि चलती रहे , ईश्वर यही चाहता है । यही वजह है कि ईश्वर ने औरत और मर्द के दरम्यान स्वाभाविक आकर्षण भी रखा और अपनी वाणी के द्वारा इस रिश्ते को क़ायम करने और इसे अदा करने का तरीक़ा भी बताया। ईश्वर की वाणी की पहचान भी यही है कि उसमें इस रिश्ते को अच्छे ढंग से निभाने की शिक्षा दी गई होगी और इससे पलायन करने को वर्जित ठहराया होगा। जो लोग पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते में दोष बताएं और सोचें कि घर-गृहस्थी के पचड़े में पड़ने से क्या फ़ायदा ?
अब इसके बाद वे जो भी करेंगे , उसमें संतुलन का पहलू नहीं पाया जाएगा । इनमें से कुछ लोग अपनी मौज-मस्ती के लिए आज़ाद यौन संबंध बनाते हैं और समाज में यौन रोग फैलाते हैं और अवैध संतानों को जन्म देकर उन्हें लावारिस छोड़ देते हैं और कुछ लोग सन्यास ले लेते हैं। ये लोग घरों से निकल खड़े होते हैं अपने बूढ़े माँ-बाप को बेसहारा छोड़कर। जिनसे इन्होंने जन्म लिया , उनकी भी सेवा ये लोग नहीं करते और न ही आगे किसी को जन्म देते हैं । वास्तव में ये दोनों ही लोग मनुष्य शरीर और जीवन के बारे में उस रचनाकार प्रभु की योजना को समझ नहीं पाए।
व्याभिचार और सन्यास, इस्लाम में दोनों ही हराम हैं और विवाह करना और औलाद की अच्छी परवरिश करना अनिवार्य है , अगर किसी के साथ कोई मजबूरी हो तो वह अपवाद है।
नेक बीवी भी दुनिया की सबसे बड़ी पूंजी है और नेक औलाद भी और यह पूंजी तभी मिलती है जबकि आदमी ईश्वर के आदेश का पालन करे, धर्म का मर्म भी यही है ।
यह हदीस 'मुस्लिम' में है ।

Monday, April 11, 2011

जुल्म और लालच Save Yourself

अल्लाह के रसूल (स.) ने फ़रमाया-
‘ज़ुल्म से बचते रहो, क्योंकि ज़ुल्म क़ियामत के दिन अंधेरे के रूप में ज़ाहिर होगा और लालच से भी बचते रहो, क्योंकि तुम से पहले के लोगों की बर्बादी लालच से हुई है। लालच की वजह ही से उन्होंने इन्सानों का खून बहाया और उनकी जिन चीज़ों को अल्लाह ने हराम किया था, उन्हें हलाल कर लिया।‘  -मुस्लिम

इस हदीस में पहले ज़ुल्म से बचने को कहा गया है और बताया गया है कि ज़ुल्म आखि़रत में बहुत से अंधेरों का रूप इख्तियार करेगा और ज़ालिम इंसान अंधेरों में भटकता हुआ जहन्नम में जा गिरेगा। इसके बाद लालच से बचने की ताकीद की गई है। क्योंकि दुनिया और मालो जायदाद का लालच ही बेशुमार गुनाहों की जड़ है। इसी से इंसान आखि़रत को भूल जाता है और दीन के रास्ते में कुरबानी देने से कतराता है। लोगों के हक़ मारता है और इंसानों पर ज़ुल्म करता है। इतना ही नहीं, वह उनके माल और इज़्ज़त पर भी हाथ डालता है और वह खून-ख़राबा भी करने लगता है। एक दूसरी हदीस में है-

‘जिस किसी ने अपने भाई पर कोई ज़ुल्म किया हो, उसे चाहिए कि आज ही अपने लिए राह निकाल ले यानि हक़ अदा कर दे या माफ़ करा ले। इससे पहले-पहले कि वह दिन आए जब कि न दीनार होगा और न दिरहम। अगर नेकियां होंगी तो उसके किए हुए जुल्मों के मुताबिक़ उस से ले ली जाएंगी और अगर नेकियां न होंगी तो जिन पर ज़ुल्म हुआ है, उनके गुनाह उस पर डाल दिए जाएंगे। जिसका नतीजा यह होगा कि वह जहन्नम में जा पड़ेगा।‘ -बुख़ारी


Friday, April 8, 2011

बोलने से पहले खूब सोच लेने से आदमी बहुत सी बुराईयों से बच जाता है The Word

अल्लाह के रसूल स. को मैराज की रात कर्मों के फल मिलने को प्रतीक रूप में दिखाया गया । उनमें से एक वाक़या यह है :
मैराज के दौरान अल्लाह के रसूल स. बड़े डील डौल वाले बैल के पास से गुज़रे। आपने देखा कि वह एक छोटे सूराख़ से निकलता है , फिर वह चाहता है कि वह वापस जाए मगर वह वापस नहीं जा सकता। आप को बताया गया कि यह उस इंसान की मिसाल है जो एक बात कहता है , फिर उस पर शर्मिन्दा होता है । वह चाहता है कि वह अपनी बात को वापस ले ले मगर वह उसे वापस लेने पर क़ादिर नहीं होता ।

बहवाला फ़तहुल बारी , खंड 7 , पृ. 63 , बाब हदीस उल इसरा

अलरिसाला, उर्दू मासिक , दिसंबर 2010 , पृष्ठ 11

Tuesday, April 5, 2011

नर्मी Softness

अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया-
‘जिसे नर्मी न मिली उसे भलाई न मिली।‘ -बुख़ारी
एक दूसरी हदीस में है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया-‘अल्लाह नर्म आदत का है, वह नर्मी को पसंद करता है और नर्मी पर वह कुछ देता है जो सख्ती पर या किसी और चीज़ पर नहीं देता।‘
मालूम हुआ कि जहां तक हो सके, सुलूक नर्मी का होना चाहिए। यह और बात है कि कभी सख्ती करना पड़ जाए।

किताब-चालीस हदीस, लेखक-सय्यद हामिद अली 

Sunday, April 3, 2011

गुस्सा Anger


अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया- ‘दूसरों को पछाड़ने वाला ताक़तवर नहीं है। ताक़तवर तो वह है जो गुस्सा आने पर अपने को क़ाबू में रखे।‘
                                 -बुख़ारी, मुस्लिम
गुस्सा अनेक बुराईयों की जड़ है। गुस्से की हालत में इन्सान अपने होश और हवास खो बैठता है। उसे यह पता ही नहीं चलता कि उस के मुंह से क्या निकल रहा है और जो कुछ वह कर रहा है उसका नतीजा क्या होगा ?
तलाक़, क़त्ल, और ख़ानदानों और बस्तियों की बर्बादी आमतौर से गुस्से ही की हालत में होती है। कभी-कभी गुस्से में इंसान अपनी दुनिया और आखि़रत दोनों तबाह कर लेता है।

‘एक आदमी ने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से अर्ज़ किया कि ‘मुझे नसीहत कीजिए।‘ तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने कहा, ‘गुस्सा न करो।‘ उस आदमी ने कई बार नसीहत के लिए कहा और अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने हर बार जवाब में यही कहा, ‘गुस्सा न करो।‘

हदीस में गुस्सा दूर करने के बहुत से तरीक़े बताए गए हैं। जैसे-
‘गुस्सा शैतान की वजह से आता है। शैतान आग से पैदा हुआ है और आग पानी से बुझती है। तो जब किसी को गुस्सा आए तो वह वुजू कर ले (मुंह हाथ वग़ैरह धो ले)।‘ -अबू दाऊद

एक और हदीस में है कि प्यारे नबी (सल्ल.) ने फ़रमाया-
‘जब किसी को गुस्सा आए और वह खड़ा हो तो वह बैठ जाए, अगर गुस्सा जाता रहे तो ठीक है, वरना लेट जाए।‘
           -तिर्मिज़ी, अहमद
एक हदीस में गुस्सा पीने की तारीफ़ इन लफ़्ज़ों में की गई है-
‘अल्लाह के नज़्दीक सबसे अच्छा घूंट वह गुस्सा है, जिसे कोई बंदा अल्लाह की खुशी के लिए पी जाए।‘ -अहमद
लेखक - सय्यद हामिद अली, किताब - चालीस हदीसें 

Saturday, April 2, 2011

नाते रिश्ते का ख़याल Healty Relationship लेखक-सय्यद हामिद अली

अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया-
‘(नाते-रिश्ते को) काटने वाला जन्नत में नहीं जाएगा।‘
                  -बुख़ारी, मुस्लिम
कुरआन पाक में अल्लाह की बंदगी पर ज़ोर देने के फ़ौरन बाद आमतौर से बंदों के हक़ अदा करने पर ज़ोर दिया गया है और उसकी शुरूआत माँ-बाप और नातेदारों के हक़ से की गई है। जैसे कि फ़रमाया-
‘और अल्लाह की बन्दगी करो, उसके साथ किसी को साझी न बनाओ और माँ-बाप के साथ अच्छा सुलूक करो और रिश्तेदारों के साथ, यतीमों के साथ, ग़रीबों के साथ, नातेदार पड़ोसी के साथ, अजनबी पड़ोसी के साथ, मुसाफ़िर के साथ और अपने गुलामों के साथ अच्छा सुलूक करो।‘
हदीस में नातेदारों के हक़ और अधिकारों को बहुत अहमियत दी गई है और बताया गया है कि जो आदमी नातेदारों से नाता तोड़ लेता है और उनके हक़ अदा नहीं करता, वह जन्नत में न जा सकेगा। रिश्तेदारों के हक़ पर ज़ोर देते हुए और उसे स्पष्ट करते हुए अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया-
‘रिश्तों-नातों को जोड़ने वाला वह नहीं है जो बदले में रिश्ते जोड़ता है, बल्कि वह है कि जब उसके नातेदार उससे नाता तोड़ लें और उसके हक़ अदा न करें तो वह उन से ताल्लुक़ जोड़े और उनके हक़ अदा करे।‘
किताब-चालीस हदीसें, लेखक-सय्यद हामिद अली

Friday, April 1, 2011

हज़रत इमाम हसन (रज़ियाल्लाहु अन्हु) ने कहा

http://www.tebyan.net/islam_features/prophet/ahl_al-bayt/imam_hassan_as/2007/9/25/46834.html
1. तत्वदर्शिता में ऊंचे दर्जे की तत्वदर्शिता तक़वा और कमज़ोरियों में सबसे बड़ी कमज़ोरी बदअख़लाक़ी और बदआमाली है ।

2. मोमिन वह है जो आख़िरत के लिए अच्छे आमाल जमा करे और क़ाफ़िर वह है जो दुनिया के मज़े उड़ाने में लगा रहे।

3. बहादुर वह है जो मुसीबत के वक़्त सब्र और बर्दाश्त से काम ले और आड़े वक्त में पड़ोसी की मदद करे।

4. वह शख़्स सबसे बेहतरीन ज़िंदगी बसर करता है जो अपनी ज़रूरतों के लिए किसी ग़ैर पर भरोसा नहीं रखता।

5. 'करम' का अर्थ है माँगने से पहले देना और मौका और वक्त पर अहसानो सुलूक करना। 
राष्ट्रीय सहारा उर्दू पृष्ठ 7 दिनाँक 31 मार्च 2011