सबका पैदा करने वाला सच्चा बादशाह कहता है कि
...और (हर चीज़ में)संतुलन स्थापित किया ; कि तुम भी तुला में सीमा का उल्लंघन न करो । - क़ुरआन, 55, 7-8 अंततः हमने हरेक को उसके अपने पाप के कारण पकड़ लिया। फिर उनमें से कुछ पर तो हमने पथराव करने वाली हवा भेजी और उनमें से कुछ को एक प्रचण्ड कड़क ने आ लिया। और उनमें से कुछ को हमने धरती में धंसा दिया। और उनमें से कुछ को हमने डुबो दिया। अल्लाह तो ऐसा न था कि उन पर ज़ुल्म करता, लेकिन वे ख़ुद अपने आप पर ज़ुल्म कर रहे थे। - क़ुरआन, 29, 40
फिर तुमसे पहले जो नस्लें गुज़र चुकी हैं उनमें ऐसे भले-समझदार लोग क्यों न हुए जो धरती में बिगाड़ से रोकते, उन थोड़े से लोगों के सिवा जिनको उनमें से हमने बचा लिया। अत्याचारी लोग तो उसी सुख-सामग्री के पीछे पड़े रहे, जिसमें वे रखे गए थे। वे तो थे ही अपराधी। तुम्हारा रब ऐसा नहीं है कि बस्तियों को अकारण नष्ट कर दे, जबकि वहाँ के निवासी बनाव और सुधार में लगे हों । - क़ुरआन, 11, 116-117
ये बस्तियों के कुछ हालात हैं, जो हम तुम्हें सुना रहे हैं। इनमें से कुछ तो खड़ी हैं और कुछ की फ़सल कट चुकी है। हमने उन पर ज़ुल्म नहीं किया, बल्कि उन्होंने ख़ुद अपने आप पर ज़ुल्म किया। फिर जब तेरे रब का हुक्म आ गया तो उनके वे पूज्य, जिन्हें वे अल्लाह से हटकर पुकारा करते थे, उनके कुछ भी काम न आ सके। उन्होंने विनाश के अलावा उनके लिए किसी और चीज़ में बढ़ोतरी नहीं की। तेरे रब की पकड़ ऐसी ही होती है, जब वह किसी ज़ालिम बस्ती को पकड़ता है। निःसंदेह उसकी पकड़ बड़ी दुखद , अत्यंत कठोर होती है। निश्चय ही इसमें उस व्यक्ति के लिए एक निशानी है जो आख़िरत (परलोक) की यातना से डरता हो। वह एक ऐसा दिन होगा, जिसमें सारे ही लोग इकट्ठा किए जाएँगे और वह एक ऐसा दिन होगा , जिसमें सब कुछ आँखों के सामने होगा।
-क़ुरआन, 11, 100-103
और अपने रब से माफ़ी माँगो फिर उसकी तरफ़ पलट आओ ; बेशक मेरा रब बड़ा दयावन्त, बहुत प्रेम करने वाला है। - क़ुरआन, 11, 90
जब आदमी यह भूल जाता है कि वह अपनी मर्ज़ी से नहीं बल्कि इस कायनात के मालिक की मर्ज़ी से पैदा हुआ है और उसे वह अपने कर्मों का हिसाब देने के लिए ज़िम्मेदार है तो उसकी इच्छाएं असंतुलित हो जाती हैं । अब वह जैसे जैसे अपनी ये असंतुलित इच्छाएं पूरी करने की कोशिश करता है तो उसका जीवन भी असंतुलित होने लगता है और जब दुनिया के ज़्यादातर लोगों का कर्म असंतुलित हो जाता है तो वे जिन चीजों को इस्तेमाल करते हैं , उनमें भी वे हद से गुज़र जाते हैं । इस तरह चीज़ों में और पर्यावरण में जो संतुलन इनके बनाने वाले ने क़ायम किया है , वह नष्ट हो जाता है और तरह तरह की बीमारियाँ, जंग और क़ुदरती तबाहियाँ मानव जाति को घेर कर नष्ट करने लगती हैं । यह असंतुलन तब तक दूर नहीं हो सकता जब तक कि मानव जाति अपने मालिक को अपना हाकिम न माने और उसके ख़िलाफ अपनी बग़ावत के अमल न छोड़ दे।
इस पर्यावरण में ही नहीं बल्कि हरेक चीज़ में फिर से संतुलन क़ायम करने का तरीक़ा इसके सिवा कुछ और नहीं है कि अब सामूहिक रूप से हरेक चीज़ को केवल अपने रब की नीति के अनुसार ही बरता जाय।
दयालु पालनहार अपनी वाणी क़ुरआन में यही बताता है और सुरक्षा देने के लिए अपने संरक्षण में बुलाता है ।
आईये , प्रभु के प्रति समर्पण कीजिए , अपने कल्याण के लिए।
बड़े भाई आपके घर में आकर जा रहा हूँ. चाय तो पिलाई नहीं आपने. गुरु जी आप संत क्यों नहीं हो जाते, इतना अच्छा ज्ञान देते है. ज्ञानवर्धक पोस्ट.......
ReplyDeleteNice Post!
ReplyDeleteअच्छा विचारणीय लेख. प्रभु समर्पण अति आवश्यक है,चाहे वह वेद,पवित्र कुरआन,गुरु ग्रन्थ साहिब,गीता,बाइबिल से हो.
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