Thursday, April 14, 2011

ईमान वाले बंदों की ज़िम्मेदारी है बुराई का ख़ात्मा करना

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया-
'तुम में से जो आदमी किसी बुराई को देखे, उसे अपने हाथ (ताकत) से बदल दे, अगर यह भी मुमकिन न हो सके तो ज़ुबान से उसे बदलने की कोशिश करे, अगर यह भी मुमकिन न हो तो दिल ही से सही और यह ईमान का सबसे कमज़ोर दर्जा है।' -मुस्लिम

3 comments:

  1. अगर यह भी मुमकिन न हो सके तो ज़ुबान से उसे बदलने की कोशिश करे, अगर यह भी मुमकिन न हो तो दिल ही से सही और यह ईमान का सबसे कमज़ोर दर्जा है

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  2. सर्वप्रथम जनमदिन की हार्दिक बधाई

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  3. तीन से घृणा न करो

    1 रोगी से
    2 दुखी से
    3 निम्न जाती से

    मुहम्मद साहब

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