इंसान के जीवन का मकसद वही देगा जो जिसने उसे जीवन दिया. इंसान और अन्य जीवों को खाने की ज़रुरत है तो हम देखते हैं कि भोजन हमारे लिए उपलब्ध है. हमें पीने की आवश्यकता है. और हमारे लिए पानी उपलब्ध है. हमें सांस लेने की ज़रुरत है, और हमारे लिए काफी वायु उपलब्ध है. लेकिन एक चीज़ हे जिसमें हम अन्य जीवों से भिन्न हैं. और वो है हमारी सोचने की क्षमता, जवाबों की तलाश है. अब ज़ाहिर सी बात हे, अगर हमारी भौतिक आवश्यकताओं के लिए सब कुछ उपलब्ध हे, तो हमारी मानसिक और आध्यात्मिक ज़रूरतों के लिए भी कुछ उपलब्ध होना चाहिए. यही ज़रुरत वही के ज़रिये पूरी होती है.
इस सच को कहा है हमारे भाई मुशफिक ने इस पोस्ट पर
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