Wednesday, June 15, 2011

निगमानंद का ख़ून मौजूद है ब्लॉग महोत्सव में मिलने वाले मोमेंटो पर, निशंक जी के कारण



‘निगमानंद के निधन के लिए निशंक सरकार दोषी’
नई दिल्ली ! गंगा में अवैध खनन के विरोध में अनशन की भेंट चढ़े हरिद्वार के स्वामी निगमानंद की मौत का मामला राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है। केंद्रीय पर्यावरण व वन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयराम रमेश ने स्वामी के दुखद निधन के लिए उत्तराखंड की भाजपा सरकार को दोषी ठहराया है। जयराम ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को डेढ़ साल पहले इस मसले पर पत्र लिखा था लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।

आज समाचार पत्रों में यह चर्चा आम है। राजनेता तो राजनीति करेंगे ही। गाय मरे या सन्यासी ये लोग अपनी राजनीति का मौक़ा ढूंढते हैं। ठीक वैसे ही जैसे कि एक ब्लॉगर हर जगह अपने ब्लॉग के लिए एक पोस्ट ढूंढ लेता है। न तो राजनीति गंदी है और न ही ब्लॉगिंग कोई बुरी बात है। बुरी बात यह है कि ब्लॉगर्स का मक़सद सच को सामने लाने के बजाय महज़ ईनाम बांटना और बटोरना ही रह जाए बिल्कुल उधार की चीनी की तरह।
दिल्ली में जिस समय उत्तराखंड के मुख्यमंत्री दिल्ली के ब्लॉगोत्सव 2010 के समारोह में हिंदी ब्लॉगर्स को ईनाम का लॉलीपॉप बांट रहे थे। उस समय स्वामी निगमानंद जी अनशन पर थे। मुख्यमंत्री को उस समय होना चाहिए था स्वामी जी के पास और वह हॉल में बैठे ‘कलाकारों का नाटक‘ देख रहे थे। 
मुख्यमंत्री की लापरवाही निगमानंद जी के प्राण जाने का कारण बनी। निगमानंद का ख़ून निशंक जी के हाथों पर है, इसमें किसी को कोई भी शंका नहीं है। 
ब्लॉगर्स को इन्हीं के ‘हाथों‘ ईनाम मिले हैं। सो अगर आप ग़ौर से देखेंगे तो हरेक मोमेंटो पर निगमानंद के ख़ून के धब्बे आपको ज़रूर मिलेंगे।
अब यही हिंदी ब्लॉगर हरेक जगह अफ़सोस जता रहे हैं और एक बूढ़े जनवादी महोदय उन्हें ‘शहीद‘ क़रार दे रहे हैं और यह स्वीकारते ही नहीं हैं कि उनके मर्डर में एक हिस्सा हम ईनामख़ोर ब्लॉगर्स का भी है।
अब जब भी आपकी नज़र दिल्ली में मिले उस मोमेंटो और मुख्यमंत्री निशंक पर जाएगी तो आपको निगमानंद का ख़ून हमेशा वहां नज़र आएगा। अब यह मोमेंटो किसी ब्लॉगर की उपलब्धि की याद के साथ साथ निगमानंद के ख़ून की याद भी सदा दिलाता रहेगा। इस मोमेंटो को कूड़े के ढेर पर फेंक दे, ऐसा कोई ब्लॉगर इन ईनाम के लालचियों में है नहीं।
यही है हिंदी ब्लॉगर्स का भ्रष्टाचार। ख़ुद भ्रष्ट हैं और दूसरों को नियम-क़ानून बता रहे हैं।
आदमी ज़मीर बेच डाले तो फिर कुछ ही करता फिरे।
सुना है कि ऐसा ही ब्लॉगोत्सव दोबारा फिर होने वाला है।
ख़ुदा ख़ैर करे, देखिए इस बार ‘हाथ किसके और कैसे होंगे ?

Saturday, June 11, 2011

सबसे ज़्यादा ईमान वाला कौन ?

अल्लाह के रसूल सल्-लल्लाहु वसल्लम ने फ़रमाया , 'सबसे ज़्यादा ईमान वाला शख़्स वह है जो अपनी औरत के साथ नर्मी और मुहब्बत का बर्ताव करे और तुम में बेहतर वह शख़्स वह है जो अपनी औरत के साथ बेहतर हो।'
किताब - मियाँ बीवी के हुक़ूक़ पृ. 24 लेखक : हज़रत मौलाना अब्दुल ग़नी , जसीम बुक डिपो दिल्ली

Saturday, June 4, 2011

सच्ची सुंदरता क्या है ? Real Beauty - Dr. Anwer Jamal

डा. अनवर जमाल और BK संगीता जी आध्यात्मिक चर्चा करते हुए 
ख़ूबसूरत चेहरा और सुंदर शरीर किसे नहीं भाता लेकिन ज़्यादातर यह एक क़ुदरती तौर पर ही लोगों को मिलता है। किसी के हाथ में नहीं है कि वह चाहे तो अपनी लंबाई बढ़ा ले। मॉडलिंग करने वाले औरत-मर्द पैदाइशी तौर पर ही ख़ूबसूरत होते हैं। वे तो सिर्फ़ उसकी देखभाल करके उसे निखारते भर हैं। जो चीज़ आदमी के अपने बस में न हो, वह उसकी ख़ूबसूरती जांचने का सही पैमाना नहीं हो सकती, ख़ासकर तब जबकि इंसान मात्र शरीर ही नहीं होता। उसमें मन-बुद्धि और आत्मा जैसी हक़ीक़तें भी पोशीदा होती हैं।
सुंदर व्यक्तित्व कहलाने का हक़दार वही हो सकता है, जिसके विचार और और कर्म अच्छे हों। जिसके विचार सकारात्मक हैं, उसका कर्म भी सार्थक होगा, यह तय है। ऐसा इंसान प्रेम, शांति, सहयोग और उपकार के गुणों से युक्त होता है। दुख भोग रही दुनिया के दुखों को अपनी हद भर कोशिश करता है। दूसरों की भलाई के लिए और अपने देश की रक्षा में अपनी जान देने वाले इंसान इन्हीं लोगों में से होते हैं।

इंसान के मन में प्रायः चार प्रकार के विचार पाए जाते हैं
1.ज़रूरी विचार- अपने वुजूद को बाक़ी रखने के लिए इंसान को खाने-पीने, मकान-लिबास, शिक्षा और इलाज की ज़रूरत होती है। इन्हें पाने के लिए जो विचार होते हैं। वे ज़रूरी विचार की श्रेणी में आते हैं।
2. व्यर्थ विचार- अपने अतीत और अपने भविष्य के बारे में अत्यधिक सोचना इसका उदाहरण है।
3. नकारात्मक विचार- ग़ुस्सा, अहंकार, जलन और लालच इंसान को नकारात्मकता से भर देते हैं।
4. सकारात्मक विचार- नकारात्मक विचारों के विपरीत प्रेम, शांति और परोपकार के विचार सकारात्मक विचार कहलाते हैं। इंसान की कामयाबी की बुनियाद और सभ्यता के विकास का आधार यही विचार होते हैं। सकारात्मक विचार ही इंसान को सबके लिए उपयोगी बनाते हैं और समाज में लोकप्रियता दिलाते हैं।
अपने विचारों को जानने और संवारने की यह कला ‘थॉट मैनेजमेंट‘ कहलाती है। इस कला के माध्यम से आदमी अपने मन को सुमन बना सकता है। एक सुंदर व्यक्तित्व कहलाने का हक़दार वास्तव में वही है जिसने अपने मन को सुमन बना लिया है।