Sunday, April 3, 2011

गुस्सा Anger


अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया- ‘दूसरों को पछाड़ने वाला ताक़तवर नहीं है। ताक़तवर तो वह है जो गुस्सा आने पर अपने को क़ाबू में रखे।‘
                                 -बुख़ारी, मुस्लिम
गुस्सा अनेक बुराईयों की जड़ है। गुस्से की हालत में इन्सान अपने होश और हवास खो बैठता है। उसे यह पता ही नहीं चलता कि उस के मुंह से क्या निकल रहा है और जो कुछ वह कर रहा है उसका नतीजा क्या होगा ?
तलाक़, क़त्ल, और ख़ानदानों और बस्तियों की बर्बादी आमतौर से गुस्से ही की हालत में होती है। कभी-कभी गुस्से में इंसान अपनी दुनिया और आखि़रत दोनों तबाह कर लेता है।

‘एक आदमी ने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से अर्ज़ किया कि ‘मुझे नसीहत कीजिए।‘ तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने कहा, ‘गुस्सा न करो।‘ उस आदमी ने कई बार नसीहत के लिए कहा और अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने हर बार जवाब में यही कहा, ‘गुस्सा न करो।‘

हदीस में गुस्सा दूर करने के बहुत से तरीक़े बताए गए हैं। जैसे-
‘गुस्सा शैतान की वजह से आता है। शैतान आग से पैदा हुआ है और आग पानी से बुझती है। तो जब किसी को गुस्सा आए तो वह वुजू कर ले (मुंह हाथ वग़ैरह धो ले)।‘ -अबू दाऊद

एक और हदीस में है कि प्यारे नबी (सल्ल.) ने फ़रमाया-
‘जब किसी को गुस्सा आए और वह खड़ा हो तो वह बैठ जाए, अगर गुस्सा जाता रहे तो ठीक है, वरना लेट जाए।‘
           -तिर्मिज़ी, अहमद
एक हदीस में गुस्सा पीने की तारीफ़ इन लफ़्ज़ों में की गई है-
‘अल्लाह के नज़्दीक सबसे अच्छा घूंट वह गुस्सा है, जिसे कोई बंदा अल्लाह की खुशी के लिए पी जाए।‘ -अहमद
लेखक - सय्यद हामिद अली, किताब - चालीस हदीसें 

No comments:

Post a Comment